Sunday 29 January 2017

snippets again ---hindi shayari



 दिखा कोई  इक शाम दरीचों के बीच से ऐसे
जैसे बूँद आबे हयात की आ  पड़ी हो मुझपे
जाने कैसे उसकी नज़रे मुड़  गयी मेरी ओर
कैसा था वो आलम. कैसे झूम  उठा मेरा  मन मोर।

क्या  ऐसे ही दिल है लगता किसी
अजनबी अनजाने से ?
क्या इसको ही कहते है इश्क़

 चलो पूछे हम जमाने से

 ####

गर राह में मिल जाएं  तो 
देख लेना हमको भी कभी 
ये न कहना
 अजनबियों से  आँखे मिलाना अच्छा नहीं 

दिल ही दिल में चाहते हो हमको 
ये मालूम है 
पर ये कहते हो क्यों ? कि 
दिल का लगाना अच्छा नहीं ?

कर के हमको याद 
आँखे तुम्हारी नम हुई 
पर आँखों से यु  रूमालों का लगाना
 अच्छा नहीं  

####

कही राह चलते चलते
मेरी हसरतो में रहते रहते
मिल जाओ रूबरू तुम
चाहे रुखसत ही करते करते 

4 comments:

  1. Very romantic and very beautiful!

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  2. Behad khoobsurat! Rajnigandha jaise hi...:)

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    1. Thanks for those beautiful words ---as sweet as that of a Kokila ---:) welcome to my space :)

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